Rakshabandhan kyo manaya jata hai ?
रक्षाबंधन जिसे राखी का त्यौहार भी कहा जाता है , rakshabandhan भाई बहन के लिए बहुत पवित्र त्यौहार माना जाता है.इस दिन भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है और बहन अपने भाई की लम्बी उम्र की कामना करती है.
रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. बहने इस दिन का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है ताकि वो अपने भाई को राखी बांध सके . ये त्यौहार वैदिक कल से चली आ रहा है उस समय शिष्य अपने गुरुओ को राखी बंधते थे. हमारे धर्मग्रंथो में इससे जुडी कई रोचक कथाये मिलती है.
Rakshabandhan की शुरुआत कैसे हुयी ?
बहुत समय पहले की बात है देवताओं और असुरों में युद्ध चल रहा था यह युध्द लगातार 12 वर्षो तक चलता रहा और अंत में असुरों ने देवताओं को हरा दिया. असुरो ने देवराज इंद्र के सिंहासन सहित तीनों लोकों को जीत लिया. इसके बाद इंद्र बृहस्पति के पास गये और असुरो को हराने की सलाह मांगी. बृहस्पति ने उन्हें मंत्रोच्चारण के साथ रक्षा विधान करने की सलाह दी . श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति ने रक्षा विधान संस्कार आरंभ किया. पूजा के बाद इस पोटली को, देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा. इस रक्षा पोटली के कारण ही देवराज इंद्र असुरों को हराने में सफल हो पाए थे.
बहन भाई को राखी क्यों बांधती है ?

राजा बलि भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे , उनको भगवान ने कई वरदान दिए थे. राजा बलि को दानवीर के नाम से भी जाना जाता है क्योकि वो बहुत बड़े दानी थे. एक बार राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन किया.भगवान ने राजा की परीक्षा लेना चाहि. फिर भगवान उस यज्ञ में बामन के रूप आये. भगवान ने राजा बलि से तीन पग जमीं दान में मांगी. इसके बाद बलि ने भगवन से तीन पग जमीं नापने के लिए कहा. उसके बाद भगवान ने दो ही पग में पथ्वी और आकाश को पूरा नाप लिया. राजा बलि समझ गए की भगवान उनकी परीक्षा ले रहे है , फिर राजा बलि ने भगवान का तीसरा पैर अपने सर पर रखवा लिया. राजा बलि भगवान से बोले की प्रभु आपने तो मेरा सब कुछ ले लिया , भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया.राजा बलि ने कहा कि भगवान यदि आप मुझे पाताल लोक का राजा बना ही रहे हैं तो मुझे वरदान दीजिए कि मेरा साम्राज्य शत्रुओं से बचा रहे और आप भी मेरे साथ रहें.
उसके बाद भगवान राजा के साथ पताल में रहने लगे . इस बात से लक्ष्मी जी परेशान हो गयी .उसके बाद लक्ष्मी जी एक गरीब महिला के रूप राजा बलि के पास गयी फिर राजा बलि को राखी बांधी , इस बात पे राजा बलि ने कहा की आपको इसके बदले देंने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है .फिर लक्ष्मी जी ने अपने असली रूप में आकर भगवान को माँगा ,बलि ने रक्षासूत्र का मान रखते हुए भगवान को जाने दिया. इसी दिन से बहन ने अपने भाई को राखी बंधना शुरू किया और rakshabandhan एक पवित्र त्यौहार बन गया.
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